जीवन की तलाश में इन्सान दूरदूर तक खोज कर रहा हे. हमने अपनि Space, science और technology सीरीज में Hollow Earth theory के बारे में आप को बताया था. जिसमे हमने एडमंड हेले के उस सिधांत को बताया था जिस के अनुसार पृथ्वी के अन्दर जीवन होने की संभावना हे.... ऐसा माना जाता हे.
नासा ने अभी एनसेलेडस नाम के ग्रह पर जीवन होने की काफी बड़ी संभावना व्यक्त की हे, और आश्चर्य की बात ये हे की ...एनसेलेडस की सतह से २०-२५ मिल अन्दर अन्दर जीवन पनपा हे ऐसा उनका मानना हे.

नासा ने कुछ दिनों पहले १२ या १३ अप्रैल को घोषणा कर दी की, शनि के उपग्रह एनसेलेडस पर शायद जीवन पनपा हो..... यानी वहा एलियन हो सकते हे.
एनसेलेडस शनि के ६२ उपग्रहों मेंसे एक हे ...और शनि का छटा सबसे बड़ा उपग्रह हे. नासा को लगता हे की एनसेलेडस पर जीवन हो सकता हे..... क्यों की नासा के छोडे कैसिनी spacecraft को ऐसे साबुत मिले हे, जो बताते हे की एनसेलेडस की बर्फीली परत के अन्दर हाइड्रोजन के सहित वे सभी तत्व मौजूद हे जो जीवन के निर्माण के लिए आवश्यक हे, और वहा जीवन के लिए एक आदर्श स्थिति मौजूद हे.

इसका ये मतलब हुवा की ये, शनि का चन्द्रमाँ जीवित प्राणियों के रहनेयोग्य जगह हे. और यहाँ शायद जीवन की शुरवात हो चुकी हे, और अगर ऐसा नहीं हे तो यहाँ जल्द ही जीवन की शुरवात होगी.... एनसेलेडस पृथ्वी से लगभग ८० करोड़ मिल दूर हे, और इस ग्रहकी उपरी परत बर्फ से ढकी हुयी हे.
नासा का कैसिनी spacecraft २००५ से शनि और एनसेलेडस का निरिक्षण कर रहा हे. २००५ में कैसिनी ने एनसेलेडस के अन्दर से आने वाले Vapours को देखने में कामयाब रहा था, ये Flums Vapours एनसेलेडस के अन्दर के बड़े खद्दो से आ रहे थे.
इसने संशोधको को ये सोचने पर मजबूर कर दिया की, बर्फीले एनसेलेडस के अन्दर शायद पानी हे. २०१५ में और एक बात पता चली की जैसे पृथ्वी सूर्य और चाँद की गुरुत्वाकर्षण के चलते High Tides और Neep Tides experiennce करती हे, और इसी कारन अपने वस्तुमान के पूरी तरह गोलाकार वितरित न होने के कारन थोडासा असंतुलित घुमती हे, हे एनसेलेडस भी पृथ्वी की तरह थोडा असंतुलित था, और ऐसा किसी भी liquid समुद्र के बिना हो ही नहीं सकता


संशोधको के तब निष्कर्ष निकला की हो न हो एनसेलेडस के अन्दर एक विशाल समुद्र हे, जो शनि के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में neep tide और high tide experience करता हे. और वही एक एनसेलेडस के अन्दर से आनेवाले vapours वो जरिया हे, पर अभीतक ये निष्कर्ष एक Hypothesis था जो सही भी हो सकता था और कुछ हद तक गलत भी.
इसीलिए नासा ने कैसिनी को इन vapours में बहोत निचे तक उतार दिया, कैसिनी ने अपने mass spectrometer instrument से ये vapours पकडे और कुछ दिनों पहले इन samples के अभ्यास से चला की, एनसेलेडस पर हाइड्रोजन मौजूद हे. ये एक बहोत बड़ा शोध था
प्रो. हंटरवेट जो की साउथवेस्ट university में काम करते हे, उनके अनुसार शनि के उपग्रह एनसेलेडस पर एक बर्फ से ढका हुवा समुद्र हे, औए कैसिनी को मिले vapours इस बर्फीली परत के cracks से बाहर आ रहे हे. और ये water-rock के बिच की रासायनिक अभिक्रिया के देते हे जो समुद्र और कोर के कारन हे.
हमने संशोधन के अंत में पाया की, हाइड्रोजन के होने का सबसे वैध कारन समुद्र के अन्दर चल रही, खडको के अन्दर के मिनरल और आर्गेनिक पदार्थो के बिच चल रही Hydro-Thermal reaction ही हे.

हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड जो vapours में मिला था, के साथ मिलकर मीथेन का निर्माण कर सकता हे, मीथेन सूक्ष्मजीवो का एक फ़ूड source हे.
मीथेन पृथ्वी पर भी समुद्र में बहोत निचे रहने वाले जीवो का foodsource हे. शनि के इस उपग्रह पर वो सब मौजूद हे जिसने करोडो साल पहले पृथ्वी पर जीवन की शुरवात करी थी.
नासा ने ये कहा की " ये एक नयी कहानी की शुरवात हे, क्यों की हमने इससे पहले, कभी भी जीवो के foodsourse के ऐसे सबुत समुद्र में नहीं पाए हे."

स्पेस एजेंसी के अनुसार Bulding Blocks of Life में पानी, energy sourse, और size elements जिनमे कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस और सल्फर शामिल हे.
पानी का अस्तित्व पहले ही साबित हो चूका हे, energy source एनसेलेडस के उन खाद्को में से आते हे जो शनि के गुरुत्वाकर्षण के कारन एकदूसरे में फ्रिक्शन पैदा कर ९० डिग्री तक ताप जाते हे.
फॉस्फोरस और सल्फर जो अभीतक नहीं मिले, संशोधको के अनुसार एनसेलेडस पर हे. क्यों की एनसेलेडस की कोर chemicaly एक छोटे meteorite के जैसी ही हे, और उसमे ये दो एलेमेन्ट होते ही होते हे.
ये एक बहोत ही बड़ा शोध हे, क्योकि अगर हामारी सौरमाला में पृथ्वी के अलावा किसी और ग्रह पर जीवन की शुरवात हो चुकी हे तो, हम इस बात पर काफी confident होगे की हजारो करोडो ग्रहों मेंसे बहोत से ग्रहों पर जीवन का अस्तित्व हे.
और हमें फिरसे हमारे चन्द्र, मंगल आदि को बारीकी से देखना पड़ेगा.
हबल टेलिस्कोप ने इसी तरह के vapors जुपिटर यानि गुरु के उपग्रह यूरोपा से भी आते देखे हे, और इसीलिए नासा एक और मिशन २०२० में शुरू करेगा जो इस यूरोपा पर जीवन की संभावना तलाशेगा.


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