(Gandharv Astra (Hindi)- Divine Ramayana Weapon | गंधर्व अस्त्र- श्रीराम का अस्त्र) |रामायण महाभारत और बहोत से
पौराणिक युद्हो में काफी चमत्कारिक असरो के उपयोग के वर्णन हे| इन सभी अस्त्रो के वर्णन देख कर हम सभी आश्चर्यसे मंत्रमुग्ध हो जाते हे| इनमे से कई अस्त्रों की तुलना हम आजके आधुनिक अस्त्रोंसे कर सकते हे तो कई अस्त्र आजके आधुनिक अस्त्रों सेभी प्रगत थे | इन्ही अद्भुत अस्त्रों मेंसे एक था गंधर्व अस्त्र |
नमस्कार मित्रो, स्वागत हे आपका मिथक टीवी के mythological Weapon Series में. आज हम आपको इसी गंधर्वअस्र के बारे में बताने जाने वाले हे.
गंधर्वास्त्र (Gandharva Astra)
गंधर्वास्त्र का सबसे पहला
उल्लेख वाल्मीकि रामायण(Valmiki Ramayana) के बालकाण्ड(Balkand) में मिलता हे| जब ऋषि विश्वामित्र भगवान श्रीराम को अनेक स्वर्गीय अस्रो को आवाहन करना सिखा रहे होते हे | तब वे इन अस्त्रों में गंधर्वास्त्र(Gandharvastra) को भी भगवान राम को सिखाते हे | लोकप्रिय रूपसे ये माना जाता हे की ये गंधर्वअस्र
गन्धर्वो(Gandharva's) के प्रमुख चित्रसेन का इजाद किया हुवा था, पर गंधर्वास्त्र चित्रसेन को भगवान शिव से प्राप्त हुवा था |
गंधर्वास्त्र आवाहन (Invocation Of Gandharv Astra)
जब कोई भी वीर इस अस्र को
चला दे, तब इस अस्र को चलाने वाले को उसके रथ, वाहन, अश्व या गज इन सभी के उपर कूच सूक्ष्म कनो से निर्मित वायू का आवरण बन जाता था. ये ऐसी हवा होती थी जो प्रकाश के गती से भी तेज होती थी. कुछ लोगोके अनुसार ये वायू मनोज्वा कनो द्वारा बनी होती थी. पुरानो के अनुसार मनोज्वा कण, वो कण होते हे जो प्रकाश की गति से भी
तेज होते हे.
इस वायू के प्रभाव में
रथ और उसपर सवार योद्धा भी प्रकाश की गति से परिक्रमा करने के काबिल हो जाता | इतनी अत्यधिक तेज गति के कारन ये एक तरह का illusion या दृष्टिभ्रम निर्माण हो जाता और विरोधी को ये लगने लगता हे की योद्धा एक वक्त कई जगहों पर मौजूद हे | दुश्मन पूर तरह से भ्रमित हो जाता कि कीस दिशा मे वार करणा हे | साथ ही गन्धर्वास्त्र द्वारा योद्ध को अपने दुश्मन पर वार करनेके लिये अत्याधिक गती मिल जाती जो दुश्मन का विनाश करणेके लिये काफी होती |
रामायण और गंधर्वास्त्र (Ramayana And Gandharva Astra)
रामायण में, भगवान राम ने
गंधर्वअस्र का उपयोग रावन के चचेरी भाई खर-दुशान राक्षसों का वध करने के लिए किया था | रामने इस अस्त्र का उपयोग एक बार फिर रावन
की सेना के खिलाफ किया था | तब उन्होंने रावन की सेना के १०,००० रथ, १८,००० हाथी
१४,००० घुड़सवारो के साथ २ लाख सैनिको को नष्ट कर दिया था | इससे आप अंदाज लगा सकते ही युद्ध में गंधर्वास्त्र कितना भयानक साबित हो सकता हे |
भगवान् राम ने जब इस अस्र
का उपयोग किया तब रणभूमि पर मौजूद सभी को हजारो जगहो पर भगवान राम दिखने लगे थे |
कोणसे योद्धाओ के पास था गंधर्वास्त्र ? (Who Posses Gandharva Astra)
रामायण के वक्त तक सिर्फ भगवान शिव और भगवान राम दोनोही गंधर्वअस्र का उपयोग करना जानते थे | तो महाभारत के समय तक पितामहा भीष्म, द्रोणाचार्य अर्जुन, कर्ण, अभिमन्यु इस अस्त्र को अवहित करना जानते थे |जयद्रथ वध और गंधर्वास्त्र (Mahabharata And Gandharv Astra)
गंधर्वास्त्र के उपयोग की एक और कथा काफी प्रसिद्ध हे | महाभारत युद्ध के समय, अर्जुन जयद्रथ को मारने का प्रण करते हे | अर्जुन तब कौरवो द्वारा रचित व्यूह को तोड़ने के लिए इसी गंधर्वास्त्र का उपयोग करते हे| तब गुरु द्रोणाचार्य इस अस्र को निरस्त कर देते हे | तब भी अर्जुनको इस अस्र से मिली तेजी के कारन व्यूह का बाहरी कवच तोड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता हे | अर्जुन ने अभिमन्यु को भी ये अस्त्र सिखाया था | और इसी अस्त्र की सहायता से अभिमन्यु ने भी कौरवो के चक्रव्यूह को तोडा था |
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