येशू मसिह का मृत्यू कश्मीर, भारत मे हुवा था ...? Jesus Died in India..| क्रिसमस को येशु यानी जीजस
के जन्म दिन की ख़ुशी में मनाया जाता हे. क्या आपको पता हे येशु का जन्म इसवी सन २ से ७ के बीच के सालो में हुवा था, जबकि पहली बार ख्रिसमस येशु के जन्मस्थान से कोसो दूर
यूरोप के रोम में इसवी सन ३३६ में मनाया गया था.
आज के एपिसोड में हम
जानेंगे ख्रिसमस और ख्रिश्चन धर्म के बारे में. और साथ ही जानेंगे इस थ्योरी के
बारे में, जिस में कहा गया हे की जीजस अपने अंतिम काल में भारत में .. कश्मीर में रहे
थे.
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कई
संस्कृतियों में एक सर्दियों का परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला लोकप्रिय
त्योहार होता हे, जो साधारण तौर पर winter solestice यानी साल के सबसे छोटे दिन के
नजदीकी समय में आता हे. जैसे भारत में "मकर संक्रांति" मनाया जाता हे.
इस
बात में कोई दो राय नहीं की भारत में ख्रिश्चन धर्म यूरोप के कई देशो से पहले आया
था, और केरल और दक्षिण के सीरियन चर्च काफी प्राचीन हे इंग्लॅण्ड के चर्चो से भी
काफी प्राचीन.
१८
वि और १९ वि शताब्दियों में काफी थ्योरीज और सिधांत सामने आये, जो ये दावा करते थे
की जीजस यानी येशु मसीह अपने अंतिम काल में भारत रहे थे.
येशु
के बचपन के १२ से लेकर ३० की उर्म तक के बारे में कही कुछ नहीं लिखा गया, न तो
ओल्ड टेस्टामेंट में इसका उल्लेख हे और न ही न्यू टेस्टामेंट में.... पाश्चिमात्य
दुनिया में ये "Unknown Years of Jijus" कहकर जाने जाते हे... ये साधारणतः
इसवी सन ५ से २५ का समय था.
ये वही समय था जब budhism अपनी जोर पर था ... लगभग ३०० साल पहले ही सम्राट अशोक का धर्मविजय शुरू हो चूका था, और दुनिया के दूरदराज कोनो तक अब बौद्ध धर्म की पुहच थी. यहातक जापान के दरवाजे पर भी बौद्ध धर्म पुहच चूका था.
ये वही समय था जब budhism अपनी जोर पर था ... लगभग ३०० साल पहले ही सम्राट अशोक का धर्मविजय शुरू हो चूका था, और दुनिया के दूरदराज कोनो तक अब बौद्ध धर्म की पुहच थी. यहातक जापान के दरवाजे पर भी बौद्ध धर्म पुहच चूका था.
भारत
में तब एक महान गुप्त साम्राज्य का शासन था, और इस शासन के काल में भी बौद्ध धर्म
फल-फुल रहा था. समकालीन समय में भारत के आलावा चीन और अफगानिस्तान बौद्ध धर्म के
बड़े केंद्र बन चुके थे, इरान में भी बौद्ध धर्म काफी बड़े तौर पर follow किया जाता
था.
कुछ
शोधकर्ताओ की माने तो इसीके चलते अफगानिस्तान से निकलकर बौद्ध धर्म से जुडी एक
धारा पलेस्टाइन तक पुहच गयी, और युवा जीजस इसी के प्रभाव में आकर इन १८ सालो में कुछ
साल भारत में रहे थे और यहाँ उन्होंने काफी पढाई करी थी. और इसे साबित करने हेतु
शोधकर्ता बुद्धिस्त और ख्रिस्चियन teachings की काफी बुनियादी समानताये दिखाते हे.
पर
इन सब थ्योरिया से थोड़ी सी अलग पर गुलाम अहमद की थ्योरी सबसे मजबूत मानी जाती हे, जो
पुरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हे, और आज भी इसे मानने वाले बहोतसे लोग हे.
उनकी
माने तो, जीजस भारत में अपने crucifixion के बाद आये, और उन्हें बुद्ध के विचार ने नहीं तो बुद्धिस्त
monk भारत ले आये थे. साथ ही गुलाम मोहम्मद उन Jew बुध्हिस्त monks के बारे में भी
बताते हे जिन्हें येशु ने शिक्षा दी थी और उन्होंने येशु को बुद्ध का अवतार मानकर
आस्था बनायीं थी.
साधारण तौर पर ऐसा मन जाता
हे की ‘एस्सेन’ सम्प्रदाय" जो मूल इस्रायली
समुदाय जो बादमे अफगानिस्तान और कश्मीर में रहने लगा था उन लोगों ने सूली पर चढ़ाए
गए ईसा मसीह को बचाया और हिमालय की औषधीय पौधों तथा जड़ी बूटियों से उन्हें
पुनर्जीवित किया था.
कश्मीर
जाकर येशु ने वहा काफी सम्मानजनक जिन्दगी गुजारी, और काफी जगह इंसानियत की सिख
दी... श्रीनगर के पास वाले एक जीर्ण मंदिर मेभी येशु द्वारा दिए गये प्रवचन की
कथाये प्राचीन काल से प्रचलित हे.
कश्मीरी
और इस्लाम की अहमदिया सेक्ट के लोग मानते हे की रोझाबाल, कश्मीर में येशु मसीह
अपनी आयु के १२० वे वर्ष मृत्यु को प्राप्त हो गये.
हालाकी
ये सब थ्योरीज हे, वास्तव में crusification के बाद या १८ साल के The Unknown
Years में क्या हुवा ये कोई नहीं जनता...
पर
हजारो साल की लोक-कथाये... इसाई, इस्लामिक और बुद्धिस्त ग्रंथो के साधर्म्य और
वर्णन ये सोचने के लिए जरुर मजबूर कर देते हे .... की शायद येशु मसीह ने भारत की
पावन भूमि को अपने अंतिम सालो के लिए चुना था ....
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