भगवान शिव और अर्जुन युद्ध(Shiva Arjuna Fight) - किरात अवतार कथा! हिमालय पर्वतमाला में 'इन्द्रकील’ नाम का एक  बड़ा ही पावन और शांत स्थल था बहोत से ॠषि-मुनि वहां तपस्या किया करते थे. एक दिन पांडु पुत्र अर्जुन उस स्थल पर पहुंच गया अर्जुन ने वहा अपने अस्त्र-शस्त्र उतारे और वहां बने शिवलिंग के सामने बैठ गया. उसने बड़े मनोयोग से भगवान शिव की आराधना शुरू की, शिवलिंग पर फूल चढ़ाए. ये वो दिन थे जब पांडव कपटी दुर्योधन के साथ जुए में सब-कुछ हारकर वनवास कर रहे थे, तो इसी शांत कार्यकाल का सदुपयोग करने हेतु अर्जुन भगवान शिव से वरदान में कई दिव्य अस्रो को मांगने के लिए तपश्चर्या करने गया था


शिव और अर्जुन युद्ध (Shiva Arjuna Fight) - किरात अवतार कथा

कई महिने बीत गए, अर्जुन तन्मय होकर ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहेअर्जुन की तपश्चर्या की गूंज जब कैलाश तक गयी तो माता पार्वती ने शिव से पूछा, स्वामी! अर्जुन को क्या चाहिए" महादेव ने कहा कीदेवी! उसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र चाहिए"पर वो काफी अहंकारी हो चला, उसे अहंकार मुक्त करने और दिव्यास्त्रों के प्रयोग करने के लिए क्या वो काबिल हे ये देखने के लिए मुजे उसकी परीक्षा लेनी होगी"और इसीलिए मै किरात के भेष में जाकर उससे युद्ध करूंगा“ पार्वतीसहित सभी गनों ने इच्छा प्रगट की उन्हें भी महादेव अपने साथ ले चलें. महादेव उन सबको साथ ले जाने के लिए तैयार हो गए और कहा की तुम्हें भी किरात-नारियों का भेष धारण करना पड़ेगा. जब वे इन्द्रनील पहुंचे तो माता पार्वती ने एक ओर संकेत करते हुए भगवान शिव से कहा, स्वामी! वह देखिए , कितना बड़ा शूकर्।


तब किराटरूपी शिव ने धनुष पर बाण चढ़ाया और शुकर पर छोड़ दिया उधर अर्जुन ने भी शुकर पर बाण छोड़ दिया. शूकर के शरीर में एक साथ दो तीर आ घुसे, एक किरातरूपी शिव का और दूसरा अर्जुन का. दो-दो तीर खाकर शूकर ढेर हो गया. ज़मीन पर गिरते ही  किरात नारियां बने शिवगणों ने जय-जयकार करनी शुरू कर दी. 

भगवान शिव-द्वारा अर्जुन के अहंकार का पतन (Mahadeva Arjuna Fight)

सुवर को मरा देख किरात-नारियों पर अर्जुन मुस्कराए और शिवजी के सामने जाकर बोले, किरात! इस घने वन में इन स्त्रियों को भय नहीं लगता? सिर्फ अकेले तुम्हीं पुरुष इनके साथ हो,” युवक! हमें किसी का भय नहीं.. पर तुम शायद डरते हो, तुम हो भी तो कितने कोमल“ किरातरूपी शिव ने मुस्कराकर कहा.

मै कोमल हूं? तुमने देखा नहीं मेरे बाण ने कैसे शूकर को वेधा है?अर्जुन बोले. शूकर हमारे सरदार के बाण से मरा है.किरात नारियों ने चीखकर कहा
तब तो इस बात का निर्णय हो ही जाना चाहिए, किरात, कि हम दोनों में कौन श्रेष्ठ धनुर्धर हैअर्जुन ने गर्व भरे स्वर में चुनौती दी. बस, फिर क्या था, दोनो ने अपने अस्त्र-शस्त्र एक दूसरे की ओर चलाने शुरू कर दिए। देखते ही देखते भयंकर बाण-वर्षा शुरू हो गई। लेकिन कुछ ही देर बाद अर्जुन का तूणीर बाणों से ख़ाली हो गया। तब वह विस्मय से बड़बड़ाया, मेरे सभी बाणों को इस किरात ने काट डाला, मेरा बाणों से भरा सारा तूणीर ख़ाली हो गया किंतु किरात को खरोंच तक नहीं लगी.
उसने झपटकर किरात को अपने धनुष की प्रत्यंचा में फांस लिया, किंतु एक ही क्षण में किरात ने अर्जुन से धनुष छीनकर दूर फेंक दिया. अर्जुन और भी चिढ़ गए, इस बार वह तलवार लेकर किरात की ओर झपटे और बोले, किरात! भगवान का स्मरण कर ले, तेरा अंतकाल आ गया

किंतु जैसे ही अर्जुन ने तलवार किरात के सिर पर मारी, तलवार टूट गई, अर्जुन निहत्थे हो गए तो उन्होंने एक पेड़ उखाड़ लिया और उसे किरात पर फेंका. लेकिन उमके आश्चर्य का ठिकाना न रहा क्योंकि किरात के शरीर से टकराते ही पेड़ किसी तिनके की भांति टूटकर नीचे जा गिरा. जब कोई और उपाय न रहा तो अर्जुन निहत्थे ही किरात पर टूट पड़े. किंतु किरात पर इसका कोई असर न हुआ. उसने अर्जुन को पकड़कर ऊपर उठाया और उन्हें धरती पर पटक दिया. अर्जुन बेबस हो गया.
और अर्जुन किरात के चरणों में गिर पड़े, रुंधे गले से बोले, आप कोई सामान्य किरात नहीं हे. प्रभु, मुझे क्षमा कर दो, में अहंकारी हो गया था

अर्जुन को पशुपतास्र कि प्राप्ती (Obtaining the Pashupatastra)

तब शिव अपने असली रूप में प्रकट हुए, पार्वती भी अपने असली रूप में आ गई, शिव बोले, अर्जुन! मैं तेरी भक्ति और साहस से प्रसन्न हूं. में तुम्हे पशुपतास्र देता हु, संकट के समय यह तेरे काम आएगा

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