भार्गवास्त्र (Bhargavastra)- कर्ण और परशुराम का दिव्य अस्त्र (Divine Weapon)| एक अस्त्र जो पुरे के पुरे ग्रह को नष्ट करने की काबिलियत रखता था और ब्रह्मांड के इतिहास मे जिसे आजतक किसे ने भी निरस्त नहीं कर किया. महाभारत युद्ध में जब इसका उपयोग किया गया तो श्रेष्ट धनुर्धारी अर्जुन को भी अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था. 
नमस्कार मित्रो, स्वागत हे आपका मिथक टीवी कि अधिकृत website में. हमने अपने भारतीय प्राचीन शस्रो की शृंखला में आपको ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, नारायणास्त्र और काफी दिव्यास्त्रो के बारे में बताया हे आज इसी शृंखला में हम एक और अजेय अस्र भार्गवास्त्र के बारे में बताएँगे
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भार्गवास्त्र(Bhargav Astra)- परशुराम और कर्ण-

भार्गवास्त्र भगवान् विष्णु के अवतार परशुराम(Lord Parshuram) द्वारा बनाया गया अस्र था. और शिवाय परशुराम के भार्गवास्त्र को अन्य कोई योद्धा जनता नाही था. जब कर्ण ने परशुरामजी से शिक्षा प्राप्त कर ली थी. इस शिक्षा के दौरण परशुराम ने कर्ण को परशु(शस्त्र) को छोड़ अपने सभी अस्र सिखाये थे जिनमे भार्गवास्र भी शामिल था. भार्गवास्त्र ने भगवान परशुराम की सारी धनुर्विद्या को अपने आप में समाये रख्खा था. जो-जो अस्त्र परशुराम जानते थे वो अस्र छोडने मी भार्गवास्त्र कबिल था और उन सभी अस्त्रो को अपने आप मे समाये हुये था.
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भार्गावास्त्र की ताकद और निरस्त्र करने का उपाय

नागास्त्र जैसे हजारो लाखो सांपो-नागो की वर्षा शत्रु पर कर देता था उसी तरह जब कोई भी वीर इस भार्गवास्त्र को अवहित कर देता. तो ये अस्र हजारो लाखो अस्रो की बारिश विरोधी सेना पर कर देता था, और इन हजारो बानो मेसे हर एक बाण कि ताकद इन्द्रास्त्र के बराबर या उससे ज्यादा ताकदवर होता था. हजारो प्रकार के इन शक्तिशाली अस्रो का एकसाथ प्रतिकार करना असंभव था. इसी कारन इतिहास में इस अस्र को कोई निरस्त नहीं कर पाया हे. अगर इस अस्र को वापस नहीं लिया गया तो ये अस्र पुरे के पुरे ग्रह को नष्ट करने की काबिलियत रखता था. जिसतरह ब्रह्मास्त्र का तोड़ खुद ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मशिर या ब्रह्मदंड. या पाशुपतास्त्र का तोड़ खुद पाशुपतास्त्र या फिर ब्रह्मदंड था ऐसा भार्गावास्त्र का कोई भी तोड़ नहीं था. ठीक से कहे तो सिर्फ परशुराम और बादमे कर्ण को ही ये अस्त्र चलाना आता था और प्राचीन इतिहास में इन दोनों का कभी युद्ध हुवा ही नहीं इसकारण भार्गावास्त्र को विफल या निरस्त्र किये जाने की कथा हमे कही भी नहीं मिलती.
इस कारन जिस वीर ने इस अस्र को चलाया हे उसेही इस अस्त्र को अपने लक्ष को साध लेने के बाद इसे वापस लेना पड़ता था.

महाभारत युद्ध में भार्गावास्त्र का उपयोग

कर्ण को भगवान् परशुराम ने अपने सभी असरो के सहित भार्गवास्त्र का ग्यान भी अध्ययन काल में दिया था. महाभारत युद्ध में अर्जुन-कर्ण के युद्ध के समय कर्ण ने इस अस्र को पांडवो के खिलाफ चलाया था, तब कर्ण ने पांडवो के लाखो वीरो को मार गिराया था, अर्जुन के पास इसका कोई तोड़ नहीं था इस कारन खुद अर्जुन को युद्धभूमि से अपने प्राण बचाकर भागना पडा था. तब कर्ण ने अर्जुन के सामने पांडवो की १ अक्षौहिणी सेना यानि २१८७० रथी, २१८७० हाथी, ६५००० घुड़सवार और १ लाख ९ हजार पैदल सिपाहियों को मार गिराया था पर अर्जुन के भाग जाने के बाद उसने इस अस्त्र को वापस लिया था.
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