पाशुपतास्त्र (Pashupatastra) - भगवान महादेव का महाविनाशक अस्त्र ! भगवान महादेव के दैवी अस्रो का जब भी जिक्र होता हे तब
सबसे पहले त्रिशूल और पशुपतास्र का नाम आता हे. पाशुपतास्त्र को भगवान
शिव, माता शक्ति और कलि ये तीनो देवताये मन, आंखे, शब्द, या फिर तीर से आवाहित कर
सकते हे. भगवान् महादेव इसका उपयोग दुनिया के अंत में सब कुछ नष्ट करने के लिए
करते हे. नमस्कार मित्रो स्वागत हे आपका मिथक टीवी की
mythological weapons शृंखला में आज हम बात करेंगे भगवान महादेव के उस अस्र की जो
ब्रम्हास्त्र और ब्रम्हाशिर अस्त्र से भी ज्यादा विध्वंसकारी हे.
पाशुपतास्त्र (Pashupatastra)- आवाहन और विध्वंस
पशुपति
शब्द का अर्थ होता हे शिव या वो जो सभी जीवितो का भगवान हे. पशुपतास्र के सामने
कोई भी जीवित या मृत चीज टिक नहीं सकती यहातक ये भगवन ब्रम्हा के बनाये अस्र
ब्रम्हास्र और ब्रम्हाशिर को निगल सकता हे. पुरानो में आवाहित यांनी चलाये गये पशुपतास्र का वर्णन "एक पैर,
बड़े दात १००० सर, १००० धड और १००० हाथ, १००० आंखे और १००० जिव्हाओ के साथ अग्नि की
वर्षा करता हे" ऐसा बताया गया हे. ये अस्र तीनो लोको को नष्ट कर
सकता था.
अर्जुन और पाशुपतास्त्र (Arjun & Pashupatastra)
महाभारत
युद्ध से पहले अर्जुन ने भगवान महादेव से इस प्राप्त किया था,
भगवन महादेव ने किरात अवतार लेकर पहले अर्जुन की परीक्षा ली थी, और इसके बाद ही
पशुपतास्र अर्जुन को दिया था. पाशुपतास्र देते समय भगवन शिव ने अर्जुन से कहा था
"ये अस्त्र किसी भी मनुष्य, देवता, देवताओ के राजा, यम, यक्षो के राजा, वरुण
किसी के भी पास नहीं हे,(महाभारत
युद्ध के दौरण कर्ण के साथ भी पाशुपतास्त्र का उल्लेख हे, पर शायद कर्ण का
पाशुपतास्त्र, अर्जुन के पाशुपतास्त्र का एक छोटा संस्करण हो सकता हे) इस अस्त्र को योद्ध किसी कम ताकदवर दुश्मन पर चलाये
तो ये तीनो लोको की चल-अचल सभी चीजो को नष्ट कर देगा."
कर्ण, भीष्म और द्रोणाचार्य का पशुपातास्र(Pashupat Weapon)
महाभारत
काल में अर्जुन अकेला इन्सान था जिसे पाशुपतास्त्र मालूम था (अर्जुन
और भगवन किराट के बारे में हमने पहले ही एपिसोड बनाया हुवा हे,) महाभारत में एक और अस्त्र पाशुपत weapon का उल्लेख आता
हे जो भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को पता था पर शायद ये कोई दूसरा और तुलनात्मकदृष्टी से देखा जाए तो साधारण अस्त्र था, जो
भगवान् शिव से सम्बंधित तो था, पर ये भगवन शिव के सबसे विध्वंसकारी अस्त्र जैसे पाशुपतास्त्र,
रुद्रास्र और महेश्वरास्त्र से काफी कम ताकदवर था.
भगवान्
महादेव पशुपतास्र को आँखों, दिल या शब्दों से भी आवाहित कर सकते थे, पर उन्होंने अर्जुन
को पशुपतास्र दिव्य तीर और धनुष के रूप में दिया था. कुछ
विद्वानों के अनुसार अर्जुन ने इस अस्त्र से जयद्रथ का वध किया था, इसके बारे मे विद्वानो मे मतभेद,
कुछ विद्वान मानते हे कि उस समय सिर्फ इसका उल्लेख किया गया था. उस समय भगवान
श्रीकृष्ण ने ये जरुर कहा था की "अगर तुम्हे पशुपतास्र याद हे तो तुम जयद्रथ
का निश्चित ही वध करोगे" पर इसका उपयोग करने का ठीक से उल्लेख नहीं मिलता, और
कई विद्वानो के अनुसार जिस अस्त्र का उपयोग अर्जुन ने
किया था, वो पशुपतास्र से बिलकुल मेल नहीं खाता.
रामायण मे इंद्रजीज का पाशुपतास्त्र (Pashupatastra)
ऐसा
भी कहा जाता हे की रामायण युद्ध के समय रावनपुत्र मेघनाद ने इस अस्त्र का उपयोग
लक्ष्मण पर किया था, पर वाल्मीकि रामायण के अनुसार देखा जाये तो किये हुये अस्त्र का वर्णन रुद्रास्त्र और महेश्वरास्त्र के
वर्णन से मेल खाता हे इसके साथ प्रभू श्रीराम के पास पाशुपतास्त्र था. जब
ऋषि वशिष्ट और शुक्राचार्य के बिच युद्ध हुवा था तब शुक्राचार्य द्वारा चलाये
पशुपतास्र ने रूशी वशिष्ट के ब्रम्हास्त्र और ब्रम्हाशिर अस्त्र सहित सभी अस्त्रों
को नष्ट कर दिया था, और आखिर में वशिष्ट को ब्रम्ह्दंड का उपयोग करना पड़ा था. आपको
हमारा ये पाशुपतास्त्र (Pashupatastra) - भगवान महादेव का महाविनाशक अस्त्र कैसा लगा हमे कमेन्ट के जरिये
बताये.
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