बहोतसे लोगोको पता होगा कि द्रौपदी के श्राप के कारण कुत्ते
खुले मे हि सहवास करते हे पर क्या आपको ये पता हे क्या... कि द्रौपदी ने
आखिर क्यों और कोनसा श्राप दिया था कुत्तों को जो इसकी सजा आज तक ये भुगत रहे है अगर नही पता तो जल्दी से हमारे page को like करे.
तो आज हम
आपको इसका पूरा इतिहास बताने वाले है कि आखिर द्रौपदी ने ऐसा क्या श्राप दिया था
इन्हें जिसकी सजा कुत्ते कलयुग में भी भुगत रहे है आज हम आपको इस
बारे में रोचक कहानी बताने जा रहे है जिसके बारे में शायद बहोत ज्यादा लोगो को पता हो ?
टीवी पर आपने महाभारत तो देखि ही होगी अगर नही भी
देखी तो हम आपको पूर्ण महाभारत बता
देते बता दे कि आज की ये कहानी इसी महाभारत मेसे है
कहानी की शुरवात द्रोपदी विवाह से होती हे, अर्जुन द्रौपदी से विवाह कर उन्हें अपने घर लाये तो माँ कुंती
ने अनजाने में यह कह दिया था कि जो भी वो लाया है उसे सभी
भाई बराबर में बाट कर उसका उपयोग करेंगे और इसी वजह से पांचो भाइयों को द्रौपदी
से विवाह करना पड़ा था | दरअसल हकीकत सत्य से कई ज्यादा हे और जो आज हम आपको बताएँगे वैसे आपको बता दे कि यह सब भगवान् महादेव का रचा हुआ खेल था आपको बता दे कि द्रौपदी ने भगवान शिव कि पूजा करके उनसे वरदान माँगा था |
"कि उन्हें बल, बुद्धि, कौशल, शौर्य और
नैतिकता में परिपूर्ण वर प्राप्त हो" लेकिन द्वापरयुग में ऐसा संभव नही हो सका हर किसी न किसी व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी
होती थी और इसी वजह से द्रौपदी को ये सारे गुण उनके अलग अलग पतियों में मिले और
इसी कारण उन्हें पांच पांडवो से शादी करनी पड़ी थी | और जब अर्जुन ने द्रौपदी को शादी करके घर
लाये थे तो इसी कारन अनजाने में माँ कुंती के मुह से ये निकल गया की इसे आपस में सब बाट लो और अपनी माँ कुंती का मान रखने के लिए
पांडवो को द्रौपदी से शादी करनी पड़ी |और इसके बाद पांडवो में यह निर्णय लिया
गया कि प्रत्येक वर्ष किसी एक ही पांडव के साथ अपना समय व्यतीत करेंगी और जो कोई
भी इस निर्णय का दुरूपयोग करेगा उसे 12 वर्ष तक वनवास जाना होगा और जब भी द्रौपदी
किसी पांडव के साथ अकेले में समय व्यतीत कर रही होती तो दुसरे पांडव को उस कक्ष
में आना वर्जित था |
इसी दौरान एक ऐसी
घटना घटित हो जिसकी वजह से कुत्ते को यह श्राप मिला की सहवास करते समय उनको पूरी
दुनिया देखेगी. पांडवो ने नियम बनाया था की जब भी कोई एक पांडव द्रौपदी के कक्ष
में जाया करता था तो वो अपनी पादुकाएं द्वार पर उतार दिया करता था ताकि उसके भाइ पादुका
देख कक्ष में प्रवेश ना करें. परंतु एक बार जब अर्जुन अपनी पादुका प्रवेश द्वार के
बाहर उतार द्रोपति के संग प्रेम प्रसंग में लीन थे तभी द्वार पर एक कुत्ता आया और
खेल खेल में उस कुत्ते ने उस अर्जुन की पादुका उठा ली और उसे लेकर वो पास के जंगल
में जाकर उसके साथ खेलने लगा. उसी दौरान भीम अपने कक्ष की ओर प्रस्थान कर रहे थे, उन्होंने देखा
की द्रौपदी के कक्ष के बाहर कोई पादुकाएं नहीं है, और वो द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश कर गए. इस तरह से भीम
को अपने कक्ष में देख कर काफी द्रौपदी शर्मिंदा हो गयी और बहुत ही क्रोधित होते
हुए उसने भीम से कहा कि उसने कक्ष में प्रवेश कैसे किया जब कि अर्जुन उनके कक्ष
में हे. इस पर भीम ने बताया
कि बाहर कोई पादुका द्वार पर नहीं रखी है. दोनों भाई कक्ष के बाहर और उन्होंने
पादुकाओं को खोजना शुरू कर दिया, ढूंढते-ढूंढते वे पास के जंगल में पहुंच गए उन्होंने देखा
की एक कुत्ता अर्जुन की पादुकाओं का साथ खेल रहा है.
द्रोपदी इस बात
से बहुत ही लज्जित महसूस कर रही थी और उतनीही क्रोधित भी थी तो उसने क्रोध में आकर
कुत्तो को यह श्राप दे दिया कि जैसे आज मुझे भीम ने सहवास करते देखा है उसी तरह
तुम्हें सारी दुनिया सहवास करते देखेगी तभी से माना जाता है कि कुत्ते सहवास करते
समय लोक लज्जा की चिंता नहीं किया करते हैं.