दीपावली
दीपो का और भारत का सबसे बड़ा त्यौहार, पुरे दक्षिण एशिया में दिवाली को धूमधाम से
मनाया जाता हे. पर क्या आपको पता हे की दिवाली के बारे में एक नहीं ६ अलग अलग
कथाये सुनाई जाती हे... आज हम आपको इन्ही कथाओ और घटनाओ के बारे में बताएँगे
नमस्कार मित्रो स्वागत हे
आपका The Indian Mythology Spreading Mission - मिथक मे, आप सभी को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाये
हम
जब इतिहास में झांक कर देखते हे तो हमें इस शुभदिनो में घटित ६ घटनाएं मिलती हे,
और शायद इस त्यौहार के इतने पवित्र होने के कारण भी यही घटनाएं हे.
कथा १- रामायण
यह
वो कहानी है जो लगभग सभी भारतीय को पता है कि हम दिवाली श्री राम जी के वनवास से
लौटने की ख़ुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित हो कर माता कैकई प्रभु
श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए मजबूर कर देती हैं और ऐसे में प्रभु
राम अपने पिता के आदेश को सम्मान
करते हुए माता सीता और भाई
लक्ष्मण के साथ 14 साल के
वनवास के लिए निकल पड़ते हैं। वन में रावण माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है।
तब
भगवान राम ... सुग्रीव की वानर सेना और हनुमान के
साथ मिल कर रावण की सेना को परास्त करते हैं और दशहरा के दिन रावण का वध करके सीता
माता को छुड़ा लाते हैं. जब श्री राम अपने घर अयोध्या लौटते हैं तो पूरे राज्य के
लोग उनके आने के ख़ुशी में रात्री के समय दीप जलाते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। तब
से उस दिन का नाम दीपावली के नाम से जाना जाता है।
कथा २ - महाभारत
आप
ने महाभारत की कहानी तो सुनी ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा की मदद से
शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था और यहाँ तक की उन्हें राज्य छोड़
कर 13 साल के
लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिकि
अमावस्या को वो पांडव
अपने 13 वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने
के ख़ुशी में पुरे राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियाँ मनायी थी
कथा ३- राजा विक्रमादित्य
राजा
विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। जिनकी चातुर्य की कथाये आज हम
विक्रम वेताल की कथाओ के नाम से जानते हे | वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उनके उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के
संरक्षणों के किस्से आज भी सुनाये जाते हे। कहते हे इसी कार्तिक अमावस्या को उनका
राज्याभिषेक हुआ था।
कथा ४ - समुद्र मंथन
दीपावली
का त्यौहार भारतीय कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के
दिन मनाया जाता है कहते हे इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने
सृष्टि में अवतार लिया था और साथ ही उन्होंने इसी अमावस की रात्री को भगवान्
विष्णु को अपना पति चुनकर
उनसे विवाह किया
था। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप
जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करतें हैं।
कथा ५ - सिख समुदाय कि दिवाली
दिवाली
को सिख समुदाय के लोग भी त्यौहार की तरह मनाते हैं, पर उनका कारन कुछ अलग हे. इस त्यौहार को वो अपने 6वें
गुरु श्री हरगोविंद जी की बंदिवास से मुक्तता के लिए मानते हे जो ग्वालियर जेल में
मुग़ल सम्राट जहाँगीर की कैद में थे।
कथा ६- नरकासूर वध
दीपावली
का त्यौहार मनाने के पीछे एक और सबसे बड़ी कहानी है की इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने
नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (कथित तौर पर वो आजके दक्षिण नेपाल की एक जगह) का राजा था। नरकासुर इतना क्रूर था की उसने देवमाता अदिति के शानदार बालियों
तक को छीन लिया। देवमाता अदिति श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की
सम्बन्धी थी। साथ
नरकासुर ने कुल सोलह देवो की कन्याओं को बंधित कर के रखा था। श्री कृष्ण की मदद
से, सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और सभी देवी कन्याओं
को उसके चंगुल से छुड़ाया। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।
आपको
हमारा ये एपिसोड कैसा लागा हमे कमेंट के जरीये बताये, हमने तो ये कथाये अपने दादा-दादी से सुनी थी पर आज किसीके पास इतना वक्त हि नही हे कि वो कथा सुना सके, कही हमारी हमारी ये प्राचीन धरोहर किताबो तक सिमट कर न रह जाये ... इसीलिये हमारे साथ मिलकर भारतीय पुराणो को घर घर मी पुहचाने मी हमारी मदत करे