Barbarik / बार्बारिक - महाभारत युद्ध को ३ तिरो से खत्म करपाने वाला योद्धा ! भीष्म पितामहा महाभारत युद्ध को २० दिनो मी खत्म कर सकते थे, गुरु द्रोन २५ दिनों में, कर्ण २४ दिनों में तो श्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन २८ दिनों मेंही अकेले महाभारत युद्ध को समाप्त कर सकता था, पर एक योद्धा था जो महाभारत युद्ध को सिर्फ तिन तिरोसे ख़त्म कर सकता था

Barbarik

भीमपुत्र बार्बारिक (Barbarik)- दुर्बलो कि औरसे लडणेवाला ! 

एक नन्हे बालक ने अपनी माता से पूछा "जीवन का सर्वोत्तम उपयोग क्या हे" इस प्रश्न पर उसकी माँने कहा "किसी दुर्बल की सहायता करना परमोधर्म हे, और यही जीवन का सबसे सर्वोत्तम उपयोग हे" उस बालक ने ये सुनकर अपनी माँ को वचन दिया की वो हमेशा दुर्बल का साथ देगा.
इस नन्हे बालक का नाम था, बार्बारिक...!!! वो भीम पुत्र घटोत्कच और मौरवि का पुत्र और साथही एक महान योद्धा था. 

कोण कितने दिनो मे कुरुक्षेत्र युद्ध खत्म कर सकता था?

महाभारत युद्ध से पहले भगवान् श्रीकृष्ण पांडवो के और कौरवो के शक्ती का अनुमान लगा रहे थे. तब उन्होंने एक ब्राह्मण वेश धारण किया और वे हर एक योद्धा कि काबिलियत का जायजा लेणे लगे. पितामह भीष्म ने उन्हें बताया की वे अकेले महाभारत युद्ध को केवल २० दिनों में ख़त्म कर सकते हे, तो द्रोणाचार्य २५ दिनों में, दानवीर कर्ण ने २४ दिनों में तो गांडीवधारी अर्जुन २८ दिनों में इस युद्ध को अकेले ख़त्म करने की काबिलियत रखते थे.
Barbarik Story

यक़ीनन कौरवो की सेना पांडवो के मुकाबले बड़ी थी साथ ही कौरवो के पास कई बलशाली योद्धा, रथी, महारथी थे पर जैसा की हमने हमारे आधुनिक युधो की सीरिज में बताया हे की सेना, संसाधन से कई गुना ज्यादा रननीती महत्वपूर्ण होती हे और संसार का सबसे बड़ा रननीतिकार कृष्ण पांडवो के साथ था और इस चीज को बार्बारिक भलीभाती जानता था. भगवान् कृष्ण के पांड्वो के पक्ष में रहने से पांडवो का पलड़ा युद्ध में भारी था, और शायद इसीलिए बार्बारिक दुर्बल पक्ष यानी कौरवो के और से युद्ध में उतरने वाला था.

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बर्बरिक (Barbarik) के तीन दिव्य-बाण

जब केशव बर्बरीक से मिले तो वे आश्चर्य में दंग रह गए, क्योकि बर्बरीक ने कहा की "वो मात्र कुछ लम्हों में और सिर्फ तिन बानो की सहायता से युद्ध को ख़त्म कर सकता हे" ... बर्बरीक को महिसागर क्षेत्र में घोर तपश्चर्या करने के बाद माँ जगदम्बा ने ३ बाण दिए थे... पहले बाण से वो उस क्षेत्र/या वस्तुओ पर निशाना लगा सकता था जिनका वो विनाश करना चाहता हे, दुसरे बाण से  निशाना लगाकर वो उन चीजो को मार्क कर देता जिन्हे वो बचाना चाहता हे और तीसरा बाण दुसरे बाण द्वारा mark कीगई चीजो को छोड़ कर सभी चीजो का विनाश कर देता था.भगवान कृष्ण को पहले तो उसपर भरोसा नही हुवा और उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने का विचार किया, उन्होंने बार्बारिक से सामने वाले पेड़ की सभी पत्तो को छेने के लिए कहा, साथ ही उन्होंने बर्बरिक को पता चले बगैर एक पत्ते को हलके से तोड़ कर अपने पैरो के निचे छिपा दिया.
बर्बरीक ने जब पहला बाण छोड़ा तब पेड़ के सारे पत्तो को mark करने के बाद... तीर भगवान् कृष्ण के पैर को चीरने लगा तब भगवान् कृष्ण ने अपना पैर उठाया और फिर तीर ने उस छुपाये हुये पत्ते को भी mark कर लिया. फिर बर्बरीक ने तीसरा तीर छोड़ा जिसने सभी पत्तो को छेदिया जिसमे भगवान् कृष्ण के पैरो के निचे दबा पत्ता भी शामिल था.
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भगवान कृष्ण कि कुटनीती

भगवान कृष्ण के बात समझ मी आई कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल होता हे तो ..युद्ध का निर्णय पांडवो के विपरीत लगना तय था... इस कारन ब्राम्हण वेशधारी कृष्ण ने बर्बरीकसे दान की अभिलाषा व्यक्त की... बर्बरीक ने भी उन्हें दान का वचन दिया, तब भगवान कृष्ण ने उससे शीश का दान माँगा, वचन मी बंधे महान वीर बर्बरीक ने ये मान भी लिया पर साथ ही उसने भगवान् कृष्ण से ये याचना की "के वो युद्ध को अंत तक देखना चाहता हे अता वे उसके कटे सर को युद्ध समाप्ति के बाद दफनाये"महान वीर बर्बरीक अगर महाभारत युद्ध में भाग लेते तो शायद युद्ध कुछ ही क्षणों में समाप्त हो जाता. 
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बार्बारिक ही बने भगवान कृष्ण कि मृत्यू का कारण?

हमे कुछ कहानिया ऐसी मिली जीनमें कहा गया की जब भगवान् कृष्ण बर्बरीक की परीक्षा ले रहे थे, और पेड़ की पत्ते पर खड़े थे, तब बर्बरीक के प्रथम बाण ने उस पत्ते पर निशाना लगाने के लिए भगवान् कृष्ण के पैर को जख्मी किया था, और बादमें वही weak spot पर तीर लगने से भगवान्कृष्ण का अंत हुवा.
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