(26 जनवरी को क्यो मनाया जाता हे गणतंत्र दिवस? History Of Indian Republic Day - 26 January)
२६ जनवरी...!! जब भारत अपना ७० वा गणतंत्र दिवस यानी republic दिवस मनायेगा... पर बहोतसे लोगो को गणतंत्र, गणतंत्र दिवस या अनेक विषयो के बारेमे आजभी पता नही हे. हमारा गणतंत्र दिवस २६ जनवरी को ही क्यू मनाया जाता हे...? गणतंत्र यांनी क्या ? इन सभी के बारे मे आज के article मे हम बात करेंगे...
२६ जनवरी...!! जब भारत अपना ७० वा गणतंत्र दिवस यानी republic दिवस मनायेगा... पर बहोतसे लोगो को गणतंत्र, गणतंत्र दिवस या अनेक विषयो के बारेमे आजभी पता नही हे. हमारा गणतंत्र दिवस २६ जनवरी को ही क्यू मनाया जाता हे...? गणतंत्र यांनी क्या ? इन सभी के बारे मे आज के article मे हम बात करेंगे...
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क्या होता हे गणतंत्र republic? (What Is Republic)
दुनिया मे दो तरह के देश
हे... एक तो हे republic और दुसरे हे monarchy. पहले वे जो republic कहलाते हे, जिसे देश
का प्रमुख चुनाव कि प्रक्रिया के तहत उसीके नागरीको मेसे चुना जाता हे, जैसा कि हमारे भारत के राष्ट्रपती रामनाथ कोविंद चुने गये हे.. इन देशो उदाहरण हे भारत, अमरिका
monarchy मे वो देश आते हे, जीन देशो
के राष्ट्रपती चुने नही जाते और वे किसी खास परिवार से होते हे. जैसे कि इंग्लंडके राष्ट्रप्रमुख उनके राजपरिवार से होते हे, इन देशो मे इंग्लंड जपान जैसे देश
हे.
Federation Vs Union
भारत के संविधान मे साफ साफ लिखा हे, Indian As Union Of States. भारत के लिये Union शब्द का इस्तेमाल किया गया हे. ये Union क्या होता हे? विशाल खंडप्राय देशो के
लिये, जीनमे अनेको प्रकार कि सांस्कृतिक विविधातये हे. उनके लिये एक और टर्म का इस्तेमाल
होता हे... Fedration या Union ... इसे हम अमरिका के उदाहरणसे
समझेंगे अमरिका मे राज्य केंद्र से अधिक शक्तिशाली हे, और सभी राज्य एक
समझोतेसे एकसाथ आये हे... इस तरह के देश को fedration कहते हे ... जैसे कि USA,
जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया
जबकी भारत मे इससे अलग हे,
जहा केंद्र राज्योके मुकाबले काफी मजबूत हे. और भारत का निर्माण राज्योके बीच हुये
सामंजस्य(Agreement) से नही हुवा हे. साथ ही कोई भी राज्य इससे अलग नही हो सकता ... इसीलिये
भारत को UNION ऑफ इंडिया कहा गया हे.
२६ जनवरी का इतिहास/ भारतीय गणतंत्र दिवस का इतिहास (History of 26 January/ History Of Indian Republic Day)
अब आते हे भारतीय गणतंत्र
दिवस के इतिहास(History Of Indian Republic Day) पर...
वैसे तो भारत का संविधान २६
नवंबर १९४९ कोही पूर्ण हुवा था, और उसी दिनसे इसके कूच हिस्से लागू भी हुये थे...
पर फिर भी हम पूर्ण संविधान लागू करणे के लिये २६ जनवरी तक क्यो रुके??
साल था १९२७, सालो पहले १९१९ मे अंग्रेजो
ने Monteque-Chemsford नाम का एक कायदा बनाया था.
इस कायदे के क्या फायदे नुकसान हुये ये देखणे के लिये अंग्रेजो ने सायमन कमिशन की
नियुक्ती करी थी...कायदा भारतियो के लिये
बनाया गया था, और इसके क्या फायदे या नुकसान हुये ये एक भारतीय अच्छी तरहसे बता
सकता था... पर सायमन कमिशन मे एकभी भी भारतीय नही था
अंग्रेजो कि इस नीती के
कारण पुरे देश मे सायमन कमिशन का कडा विरोध हुवा.
तो अंग्रेजो के भारतमंत्री
बर्कनहेड ने भारतीयो को अपना संविधान खुद बनाने की चुनोती दि. इस चुनोती का भारतीयो ने
स्वीकार किया ....संविधान बनाने हेतू सभी पार्टीया एक साथ और औष सबने मिलकर एक
समिती बनायी .... जिसने मोतीलाल नेहरू की अध्यक्ष थे और तेजबहादूर सप्रू, जवाहरलाल
नेहरू, सुभाषचंद्र बोस जैसे विद्वान लोग इस समिती के सदस्य थे ...मुस्लीम लीग ने
भी अपना सदस्य इस समिती मे भेजा था .... इस समिती मे एक रिपोर्ट बनाया .... ये था इतिहासप्रसिध्द
नेहरू रिपोर्ट था ...अंग्रेज सरकार ने इस
रिपोर्ट को ठुकरा दिया, और साथही जिना को बहला दिया ... मुस्लीम लीगने इस समिती मे
सदस्य भेजा था पर जीनाह ने अंग्रेजो की बातो मे आते हुये इस रिपोर्ट को ठुकरा दिया.
नेता नेताजी सुभाषचंद्र
बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता कडवे राष्ट्रवाद के समर्थक थे....जिन्हे
पूर्ण स्वातंत्र्य चाहिये था और वे पूर्ण स्वराज के अधिकृत मांग राष्ट्रासभा के
मंच से करणे पर अडे थे ... इनके विपरीत सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद जैसे लोग
अभीभी Dominion Status यांनी अंग्रेजो के अंतर्गत स्वायत्तता की मांग पर ही अडे थे
... राष्ट्रासभा अब दो गुटो मे बट चुकी थी
महात्मा गांधीजी ने इस संकट
की स्थिती मे मध्यस्ती की .... और फिर ये तय हुवा की सरकार को १ साल का वक्त दिया
जाये .... अगर सरकार १ साल के अंदर नेहरू रिपोर्ट का स्वीकार नही करती तो ....
राष्ट्रासभा अपने मंच से पूर्ण स्वराज की मांग करेगी
देखते ही देखते १ साल पुरा
हो गया ... पर अंग्रेज सरकार ने नेहरू रिपोर्ट पर कोई कदम नही उठाया ... ना तो
इसपर कोई चर्चा की ..... सरकार के इस रवय्ये ने Moderate गुट को भी गुस्सा दिला था और वे अब बिना किसी संकोच के
पूर्ण स्वराज्य के पक्ष मे आ गये थे
.... साल १९२९ ..... राष्ट्रासभा
के एक अभूतपूर्व अधिवेशन भरा था... ये वही लाहोर था, जहा सायमन कमिशन का विरोध
करनेवाले बुढे लालाजी को अंग्रेजो ने पिटा था. जवाहरलाल नेहरू को बिना किसी विरोध
के अध्यक्ष बनाया गया ... moderate गुट को संतुष्ट करणे हेतू सरदार पटेल और
चक्रवर्ती राजगोपालचारी की कार्यकारणी मे वापसी हुई
लाहोर के मैदान पंडित नेहरू
ने लालाजी को श्रद्धांजली ...और फिर से घोषित किया ... आनेवाला २६ जनवरी पुरे देश
मे स्वातंत्र्य दिन के रूप मे मनाया जायेगा (26 January As Indian Independence Day). और तबसे हर साल इस दिन को स्वतंत्रता
दिवस के तौरपे पुरे भारत मे मनाया जाता था.
१९४७ मे जब भारत स्वतंत्र
हुवा तो भारत के इन नेताओ के पास स्वतंत्रता दिवस का चुनाव करणे का कोई मौका नही
था .... अंग्रेज तो देश को अराजकता और दंगो के बीच मे जलता छोड कर भाग गये थे
पर जब भारतीय संविधान की
निर्मिती २६ नवंबर १९४९ को हुवी तब भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और
गृहमंत्री सरदार पटेल ने जिम्मेदारी से भारत की कमान थामी थी ....उन्होने २६ जनवरी
१९३० की गरिमा की जाणते हुये ... हमारा संविधान २६ जनवरी १९५० से लागू कर दिया
..... वैसे तो हम इसे प्रजासत्ताक दिन या Republic Day केहते हे. असलीयत मे जनता के हाथ मे सत्ता २६ जनवरी १९५० (26 January 1950) से ही आयी ..... क्यो की १९४७ से लेकर १९५० तक भारत की सत्ता ब्रिटीश संसद के
Indian Independance Act 1947 से होती थी .... यहातक गवर्नर जनरल भी था ....