भीमा कोरेगाव की लड़ाई - Battle Of Koregaon Bhima! पिछले साल की शुरवात थोड़ी सी अशांतता से हुयी थी, कोरेगाव भीमा इस अशांतता का केंद्र हे... आज हम बात करेंगे दुसरे एंग्लो-मराठा युद्ध(3rd Anglo Maratha War) और कोरेगाव की लड़ाई(Battle Of Bhima Koregaon) के बारे में जिसने अंग्रेजो की हुकूमत भारत में पूरी तरह से प्रस्थापित कर दी थी.
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उन्निसावी शताब्दी थी और समय दुसरे बाजीराव पेशवा का था, अपने स्वर्णिम और पराक्रमी पूर्वजो के विपरीत वो अधिकतर समय भोग विलास में डूबा रहता था. कई सालो पहले रघुनाथराव ने पहली बार अपनी सत्ता कि लालसा के कारण मराठा साम्राज्य(Maratha Empire) के खिलाफ कई कपट रचे. उसकी सत्ता की भूक इतनी थी की वो बादमे अपने भतीजे तक को निगल गया (इस कथा के बारे में कभी और बात करेंगे) इसी भूक के चलते रघुनाथरावने पहली बार अंग्रेजो को मराठो के अंतर्गत मसलो में घसीटा था और तब पहला एंग्लो-मराठा युद्ध भी हुवा था. पर नानासाहब पेशवा के वीर सुपुत्र माधवराव पेशवा ने अंग्रेजो को मार भगाया था और उनके समर्थ नेतृत्व के चलते तब अंग्रेजो को मुकी खानी पड़ी थी.


पर बाद में सवाई माधवराव की मृत्यु के बाद, पेशवाई का सबसे दर्दनाक और नीच काल शुरू हुवा... रघुनाथराव ने सत्ता के लिए अपनेही भतीजे नारायणराव की हत्या करवा दी. कहते हे जिसकी गूंजे आज भी शनिवारवाडा में गूंजती हे ... "काका मला वाचवा"

दुसरे बाजीराव और होलकरो की अनबंध (Bajirao II and Holkar)

बादमे रघुनाथराव का बेटा बाजीराव द्वितीय पेशवा बना और बाजीराव द्वितीय ने अपने पिता के रख्खे कदम पर चलना जारी रख्खा. उसने अपनेही लोगो के खिलाफ षड्यंत्र करने शुरू कर दिए, छल और कपट से उन्होंने यशवंतराव होलकर की भाई विठोजीराव को धोके से मार डाला. तिलमिलाए हुए शूरवीर होलकरो ने पेशवा को पीटकर पुणे से भगा दिया ... तब इस भगोड़े पेशवा को अपने पिता के मित्रो की याद आई फिर अंग्रेजो को अपनी मदत के लिए बुलाया...

बड़ोदा के गायकवाड़ के वकील की हत्या और दूसरा बाजीराव (Peshwa Bajirao II and Gaikwad's Of Baroda)

पेशवा वास्तविक में, मराठा सत्ता के प्रमुख थे... और इसी के चलते मराठा साम्राज्य का एक घटक वरोदरा के मराठा सरदार गायकवाड और पेशवा के बिच Taxation के सम्बन्ध के विवाद खड़ा हुवा... समझोता करने आये गायकवाड के वकील गंगाधर शास्त्री की हत्या हो जाती हे... जिसका जिम्मेदार पेशवा के सेनानी त्रिम्बकजी डेंगले को ठहराया जाता हे .... वरोदरा के इस वकील कि सुरक्षा का वचन अंग्रेजो ने वरोदरा को दिया होता हे. और यही तात्कालिक कारन बनता हे ३ रे एंग्लो मराठा (3rd Anglo Maratha War) युद्ध का. त्रम्बकजी डेंगले के बारे में इतिहास में २ मत हे... इतिहासकार उन्हें दोषी मानते हे तो लेखक उन्हें निर्दोष...

तिसरा एंग्लो-मराठा युद्ध (Third Anglo Maratha War)

५ नवम्बर,१८१७, पुणे के नजदीक, खडकी
अंग्रेजो की सेना के आगे थी पेशवा की सेना, अंत में पेशवा ने थोड़ी समझदारी दिखाई और होलकर, शिंदे आदि मराठा सरदारों के साथ अंग्रेजो का मुकाबला शुरू किया... पेशवाई सेना अपने जोर पर थी उन्होंने ने कुछ ही दिन पहले पुणे में अंग्रेज रेसीडेंसी को जलाकर अंग्रेजो को बहार खदेड़ा था.... और अंग्रेज अपने खोये सम्मान को पाने के लिए पेशवा के सामने थे.


पर दूसरा बाजीराव पेशवा अपने पूर्वजो (रघुनाथराव कपटी जरूर था, पर वो पराक्रमी था... पेशवा बाजीराव द्वितीय मे दोनो नही थे) जितना काबिल नहीं था, या सही शब्दों में कहे तो वो पेशवा बाजीराव द्वितीय ही था जिसने इतने महान साम्राज्य का विनाश कर दिया .... अपनेही लोगोसे छल और युद्ध किये .... पेशवा को हारना पड़ता हे.... पेशवा दक्षिण की तरफ निकल जाता हे
... पर अब भी पेशवा हार नहीं माना था... वो फिरसे एक बार वापस आता हे.

कोरेगाव भीमा की लड़ाई (Battle Of Koregaon Bhima)

१ जनवरी १८१८ कोरेगाव, पेशवा की २८,००० की सेना भीमा नदी के एक पार जमी हुयी थी, तो शिरूर से आई कंपनी की महज ८००-९०० की सेना गाव के अन्दर थी ... कोरेगाव(Koregaon Bhima) को एक कीचड़ की तटबंदी थी... पेशवा की रणनीति थी की वो कोरेगाव का पानी काट देंगे, और उन्होंने वैसा किया भी ... कोरेगाव को जितने के लिए पेशवा ने ३ बार प्रयास किया .... पहली बार 600-700 की अरबो की टुकड़ी कोरेगाव(Bhima Koregaon) पर चढ़ाई कर गयी... उसने बाहरी इलाके में एक मंदिर तक कब्ज़ा कर लिया था, पर जल्द ही कंपनी ने उसे वापस जित लिया. बाद में गोसावी टुकड़ी और मराठा टुकड़ी ने भी हमला किया पर ... महार जाती की प्रमुखता वाली अंग्रेजी टुकड़ी ने कोरेगाव(Bhima Koregaon) पर कब्ज़ा बनाये रख्खा....
रात होने तक, अंग्रेज पानी पाने में भी सफल रहे... अब पेशवा के हाथ में कुछ नहीं था... वैसे तो ये लड़ाई काफी छोटी रही पर फिर भी इसने पेशवाई का अंत कर दिया ....

अंग्रेजो का विजय या मराठा साम्राज्य(Maratha Empire) का अंत ये एक दुखद घटना जरुर थी, पर इसके लिए दूसरा बाजीराव पेशवा जिम्मेदार हे, क्योकि उसके ख़राब शासन की वजह और अपनों के खिलाफ षड्यंत्र करने के कारण ही उसका पतन हुवा. और शायद इसी कारन अपनेही उसके खिलाफ लडे और उन्होंने एक जालिम शासन का अंत कर दिया. 



बाद में यहाँ विजय की स्मृति के लिए एक विजयस्तम्भ(Monument of Bhima Koregaon Battle Victory) बनाया गया जिसपर कंपनी की और से लाधे और मारे गए ४९ वीरो के नाम लिखे गए हे.... जिनमे से २२ महार जाती जे थे ... जबकि बाकि २७ में मराठा, राजपुत शामिल थे. बादमे, अंग्रेजो ने ग्वालेरकी सिंधिया, और नागपुर के भोसलो को हराया... पर होलकरो ने जमकर मुकाबला किया पर आखिर में उन्हें भी अंग्रेजो से मात खानी पड़ी....

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