Trishul / त्रिशूल
त्रिशूल(Trishul)- भगवान शिव का
महासंहारक शस्त्र! अस्त्र और शस्त्र में फर्क
होता हे, अंग्रेजी में शब्दों की कमी होने के कारण इन दोनों शब्दों के लिए weapon
शब्द काही इस्तेमाल करते हे. हम इस फर्क के बारे में एक अलग आर्टिकल लिखकर आपको ....इसबारे में बताएँगे. हमने
आपको प्राचीन अस्त्रों के बारे में बताया है, पर आज हम आपको एक शस्त्र के बारे में बताएँगे.... दुनिया
का सबसे संहारक शस्त्र... त्रिशूल...!!! भगवान शिव द्वारा धारण किये गए इस शस्त्र
को दुनिया सबसे संहारक शस्त्र कहती हे.
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त्रिशूल(Trishul)- भगवान शिव का अस्त्र (Lord Mahadeva Weapon)
प्राचीन भारतीय ग्रंथो के अनुसार त्रिशूल दुनिया का सबसे संहारक शस्र हे. कहा जाता हे की इसमे
तिनो
ब्रम्हांड को नष्ट करने की काबिलियत रखता हे... भौतिक दुनिया, संस्कृति जो हमे
हमारे पूर्वजो से प्राप्त हुयी हे और इंसानी दिमाग की दुनिया जिसमे चेतना समेत सभी
बौधिक क्रियाये शामिल हे ... उन सभी को त्रिशूल नष्ट कर सकता हे.
प्राचीन ग्रंथो की माने तो
इन्सानी शरीर में ७ चक्र होते हे, अगर इन्सान अपने ७ चक्रों को जागृत कर दे तो वो
एक महामानव बन जाता हे, और इन चक्रों को नदियों से उर्जा मिलती हे. त्रिशूल मुलतरह
से सबसे शक्तिशाली तिन नाड़ियो को या मुलतत्वों को संबोधित करता हे ... इडा, पिंगला
और शुश्मना ... जिनमे से सुष्मना छटे चक्र से लेकर अंतिम ७वे चक्र तक जाती हे.... आसान शब्दों में कहा जाए तो त्रिशूल ही वो जरिया हे जिससे इन्सान अपने आप को महान और
सर्वशक्तिशाली बना सकता हे.
भगवान् महादेव ने इसी शस्र सेही भगवान गणेश का सर काटा
था, साथ ही ब्रम्हाजी का गुरुर उनके ५ वे सर के साथ निकाल फेका था और साथ जालंदर और अन्धक जैसे असुरो का वध भी त्रिशूल से
ही किया था.त्रिशूल(Trishul) के निर्माण कि कथा
त्रिशूल के निर्माण संबधी
एक कथा हमे विष्णु पुराण में मिली...
एकबार भगवान् सूर्य का विवाह विश्वकर्मा की बेटी संजना के साथ हुवा ... पर आपनी पति की गर्मी के कारण संजना काफी परेशान थी, और इसी कारन वो अपने पिता के घर वापस लौट गयी. तब भगवान् सूर्य और विश्वकर्मा ने इस समस्या का समाधान निकालने का निर्णय लिया. भगवान् सूर्य अपनी गर्मी को कम करने के लिए तयार भी हो गए थे.
एकबार भगवान् सूर्य का विवाह विश्वकर्मा की बेटी संजना के साथ हुवा ... पर आपनी पति की गर्मी के कारण संजना काफी परेशान थी, और इसी कारन वो अपने पिता के घर वापस लौट गयी. तब भगवान् सूर्य और विश्वकर्मा ने इस समस्या का समाधान निकालने का निर्णय लिया. भगवान् सूर्य अपनी गर्मी को कम करने के लिए तयार भी हो गए थे.
तब महान निर्माणकर्ता
विश्वकर्मा ने सूर्य का लगभग १/८ solar material निकाला और उनकी गर्मी को कम कर
दिया. और इसी निकले हुए सूर्य के पदार्थ से त्रिशूल का निर्माण किया गया था.
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Read More - अश्वथामा- कुछ अनकहे रहस्य महाभारत के
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