(इंद्रजीत और लक्ष्मण का अंतिम युद्ध): Indrajit Laxmana Finale Battle! रामायण का एक महान वीर, जो रावण कि तरफ से लडा
था... और अगर वो मारा न जाता तो शायद रामायण के युद्ध का परिणाम कुछ अलग हो सकता था, जिसे
इंद्रसे जितने कारन इन्द्रजीत(Indrajit) कहा जाता था... नाम था रावणपुत्र मेघनाद !! आजके article मे हम बात करेंगे रामायण के सबसे भयानक युद्ध के बारे में, उस युद्ध के बारे मे जो भगवान राम और रावण(Rama Vs Ravana) के बिच हुए अंतिम युद्ध से भी महाभयानक युद्ध था. इन्द्रजीत और लक्ष्मण के
युद्ध के बारे में.
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इंद्रजीत और लक्ष्मण अंतिम युद्धसे पहले (Indrajit Laxmana battles)
इन्द्रजीत(Indrajit) शायद रावण कि तरफ से लडा रामायण का सबसे शक्तिशाली योद्धा था जो अपने पिता रावणसे अनेको गुना सामर्थ्य रखता था... वो सिर्फ अपने पिता की रक्षा के लिए प्रभु श्रीराम
के सामने ढाल बनके खड़ा हुवा और २ बार लक्ष्मणजी से और १ बार भगवान् रामसे विजयी हुवा था.
लक्ष्मणजी महान धनुर्धर थे, और इंद्रजीतसे भी कई ज्यादा सामर्थ्यशाली थे... पर इन्द्रजीत के पास जो मायावी युद्ध की कला थी, वो उसे किसी भी युद्ध जितने का सामर्थ्य देती थी और उसे एक घातक योद्धा बना देती थी.
लक्ष्मणजी और इन्द्रजीत के बिच अंतिम युद्ध के पहले दो-बार लड़ाईया हुई थी, पर तब अपनी इसी मायावी शक्तियों के कारन इन्द्रजीत इन दोनों झडपो में हावी रहा था. पर तीसरे और अंतिम युद्ध में इन्द्रजीत ने अपनी मायावी शक्तियों का उपयोग नहीं किया.वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड (Yudh Kand) के ९०वे अध्याय में इंद्रजीत और लक्ष्मण अंतिम युद्ध का वर्णन मिलता हे.
लक्ष्मण और इंद्रजीत अंतिम युद्ध (Indrajit Laxmana Finale Battle)
लक्ष्मण और इन्द्रजीत एकदूसरे के सामने थे, दोनों अपनी युद्धकला का उपयोग करते
हुए भयानक रणसंग्राम कर रहे थे. दोनो का आवेश देखकर दोनों तरफ की ... राक्षस और
वानर सेनाये अपना युद्ध छोड़कर इस महान संग्राम की साक्षी बनी हुयी थी. लक्ष्मणजीने अपने एक तीरसे इन्द्रजीतके सारथी के सर पर निशाना साध कर उसका वध
कर दिया. साथ ही लक्ष्मणजीने अपनी धनुर्विद्या का ऐसा महान प्रदर्शन किया की, इन्द्रजीत हक्का-बक्का रह गया, उसके मुहसे खून निकालने लगा...
तब क्रोधित इन्द्रजीतने लक्षमण को भयानक तीर मारे, कुछ तीर लक्ष्मण के कवच से
टकराए पर वे सभी दिव्य कवच से टकराकर टूट गए, ये तीर इतने घातक थे की शायद दिव्य-कवच नही होता तो लक्ष्मणजी बुरी तरह से घायल हो जाते. इन्द्रजीत को पराक्रम की लय पकड़ते हुए देख, विभीषण बिचमे आ गया और उसने
इन्द्रजीत के घोड़े मार दिए.
इन्द्रजीत के रथ का सारथी पहले ही मारा जा चूका था, और अब उसके रथ के घोड़े भी मारे गए थे.. इन्द्रजीत अपने अचल रथसेही
मुकाबला कर रहा था, उसने विभीषण की तरफ घातक तीर चलाये पर लक्ष्मणजी ने उन सभी को काट डाला....
फिरसे इन्द्रजीत और
लक्ष्मण एकदुसरे के सामने
थे, और इन दोनो बिचमें द्वन्द की शुरवात होती हे. इन्द्रजीत ने यमराज के अस्त्र का तो
लक्ष्मण ने कुबेर के अस्त्र का आवाहन किया... ये दो अस्त्र एकदुसरे से टकराकर
चूर-चूर हो गए. अब लक्ष्मणने वरुनास्त्र तो इन्द्रजीतने रुद्रास्त्र का आवाहन
किया... ये दोनों अस्त्र भी एकदूसरे से टकराए और नष्ट हो गए. फिर इन्द्रजीतके चलाये आग्नेयास्त्र को लक्ष्मण ने सूर्यास्त्र का संधान कर
नष्ट किया. उसके बाद इन्द्रजीत ने अमोघ बाण का संधान किया जिसे लक्ष्मणने
महेश्वरास्त्र से काट दिया. इस प्रसंग पर वाल्मीकि कहते हे, सारे देव गन्धर्व लक्ष्मणजी की रक्षा की कामना कर रहे थे.
इंद्रजीत वध (Indrajit vadh)
कोई किसीसे कम न था, दोनों महान अस्त्रों का आवाहन करते और एकदूसरे के महान
अस्त्रों को निरस्त्र कर रहे थे. अब लक्ष्मणजी ने इन्द्रास्त्र का आवाहन किया, और उस अस्त्र को संबोधित करते हुए
कहा, "अगर भगवान राम धर्म की राह पर हे, तो इस
अस्त्रसे इन्द्रजीत का वध हो जायेगा".
इन्द्रास्त्र वायुकी गति से धनुष्य से छुट गया, और इन्द्रजीत के किसी अस्त्र के
संधान करने से पहले... उसने धनुष और कवच दोनों को काटते हुये सीधे इंद्रजीतके सर को काट दिया.
इन्द्रजीत अपने धनुष, कवच के साथ रथसे निचे गिर गया, लक्ष्मणजी के विजय को देख
सभी गन्धर्व और अप्सराये नृत्य करने लगे.
लक्ष्मण और इन्द्रजीत (Laxmana and Indrajit) दोनों महान योद्धा थे, दोनोंने महान पराक्रम का प्रदर्शन किया और अंत में लक्ष्मणने
इन्द्रजीत का वध कर दिया.
इन्द्रजीत रामायण के सबसे महान योद्धाओ मेसे एक था, और अनेको महा-संहारक
अस्त्रों-शस्त्रों को आवाहित करने की ताकद रखता था. पर अंत मे वो अपने पिता के अधर्म के यज्ञ की एक आहुति बना...
यही उसका पित्रधर्म था... और उसने अंततक उसका पालन किया
कमेन्ट में आप बताये, आप क्या सोचते हे इन्द्रजीत के बारे में...